छत्तीसगढ़

बचेली में धूमधाम से मना दशहरा उत्सव

बरसात और कीचड़ के बावजूद बड़ी संख्या में मैदान पहुॅचे लोग

55 फीट रावण का पुतला पूरा तो नही जला, लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों और हजारों की भीड़ ने बनाया यादगार माहौल

दुर्जन सिंह

बचेली। लौह नगरी बचेली में गुरुवार, 2 अक्टूबर को एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व ’दशहरा’ हर हालात में पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा समिति के तत्वावधान में केन्द्रीय विद्यालय फुटबॉल मैदान में आयोजित इस भव्य आयोजन में हजारों लोग उमड़े।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एनएमडीसी बचेली परियोजना के प्रमुख श्रीधर कोडाली उपस्थित रहे। शाम को छग सांस्कृतिक समिति प्रांगण से विधिवत पूजा-अर्चना के पश्चात राम-रावण का रथ निकाला गया, जिसके साथ राम, लक्ष्मण और रावण के बीच के संवादों की प्रस्तुति दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती रही।

मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौर चलता रहा। मया के डोर सांस्कृतिक कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति कुशल साहू के नेतृत्व में दी गई। जैसे-जैसे कार्यक्रम अपने चरम की ओर बढ़ा, राम और रावण का युद्ध रामलीला के रूप में प्रदर्शित किया गया। अंततः 55 फीट ऊँचे रावण के पुतले का दहन हुआ और आसमान रंगीन आतिशबाजियों से जगमगा उठा।

हालांकि, पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश का असर आयोजन पर साफ दिखा। शाम को हुई बरसात और मैदान में कीचड़ के चलते पुतले का दहन पूरी तरह नहीं हो सका। बावजूद इसके, नगरवासियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई और हजारों की संख्या में लोग, न केवल बचेली से बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी इस भव्य मेले का आनंद लेने पहुँचे।

कार्यक्रम के दौरान महाप्रबंधक महेश नायर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अरविंद कंुजाम, पालिकाध्यक्ष राजू जायसवाल, नगर निरीक्षक मधुनाथ धुव्र, एसकेएमएस अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद, पार्षद बीना साहु, हरीश शर्मा, पूर्व पार्षद गीतांजलि जायसवाल सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। समिति के महेन्द्र साहु, कीर्तन साहु, लोकेश साहु, हिरवानी साहु एवं अन्य ने इस आयेाजन में अपना योगदान दिया।

इस बार दशहरा पर्व गांधी जयंती के साथ पड़ने से मैदान में मांसाहारी व्यंजनों के स्टॉल नहीं लगाए गए। इस कारण मांसाहार के शौकीनों में हल्की निराशा रही, लेकिन शाकाहारी व्यंजनों और मेले के अन्य आकर्षणों ने लोगों की इस कमी को भी भर दिया। अंत में मुख्य अतिथि श्रीधर कोडारी द्वारा पुतला निर्माण के कलाकारो को पुरूस्कृत किया गया। बरसात, कीचड़ और मौसम की चुनौतियों के बीच भी बचेली का दशहरा उत्सव न केवल धर्म की विजय का प्रतीक बना, बल्कि नगर की एकजुटता और उल्लासपूर्ण संस्कृति की मिसाल भी पेश कर गया।

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