“अन्नपूर्णा मुहिम: भूख और अभाव से जूझते परिवार को मिली नई उम्मीद”

संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने बड़े बचेली में जरूरतमंद आदिवासी परिवार को खाद्य सामग्री और दैनिक उपयोगी वस्तुएं पहुंचाईं
दुर्जन सिंह
बड़े बचेली (दंतेवाड़ा)। गरीबी और अभाव की मार झेल रहे परिवारों के लिए जब कोई हाथ मदद के लिए आगे बढ़ता है, तो उनके जीवन में नई उम्मीद का संचार होता है। मानव सेवा को सर्वोपरि मानते हुए संत रामपाल जी महाराज जी की सानिध्य में पूरे देशभर में अन्नपूर्णा मुहिम चला रहे हैं। इसी कड़ी में दंतेवाड़ा जिले की बड़े बचेली तहसील के आदिवासी परिवार—भारती भास्कर और उनके बेटे दिव्यानसु—को जरूरी खाद्य सामग्री और उपयोगी वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं।
भारती भास्कर आदिवासी समुदाय से आती हैं। पति के निधन के बाद वह अपने बेटे के साथ बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रही हैं। परिवार की संख्या सिर्फ दो है, लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि रोज़ाना की आवश्यक जरूरतों को पूरा करना भी भारी पड़ जाता है। शारीरिक कमजोरी और बीमारी के चलते भारती स्वयं मेहनत-मजदूरी करने में असमर्थ हैं, वहीं उनके छोटे बेटे पर भी जिम्मेदारी का बोझ आ पड़ा है। इस परिस्थिति में उनका जीवन संघर्षपूर्ण और अत्यंत दयनीय हो गया था।
राहत सामग्री से जीवन को सहारा
03 अक्टूबर 2025 को अन्नपूर्णा मुहिम के तहत संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने इस परिवार तक आवश्यक वस्तुएं पहुंचाईं। इनमें 17.5 किलो चावल, 2.5 किलो आलू, 2.5 किलो प्याज, 2 किलो शक्कर, 1 किलो तेल, आधा किलो आम का अचार, आधा किलो बेसन, मसाले (हल्दी, मिर्च, धनिया, जीरा), दूध पाउडर, मूंग और चने की दाल, देसी चना, चायपत्ती, साबुन (नहाने और कपड़े धोने का), ½ किलो नमक जैसी खाद्य सामग्री और घरेलू वस्तुएं शामिल थीं।
खाद्य सामग्री के अलावा परिवार को पहनने और घर में उपयोग होने वाली वस्तुएं भी दी गईं। इनमें 2 साड़ियां, 2 पेटीकोट, ब्लाउज, 2 टी-शर्ट, 2 टाउजर, एक चारपाई, एक बेडशीट और एक चटाई शामिल है। इस मदद ने परिवार को राहत की सांस दी और जीवन में एक नया संबल प्रदान किया।
ग्रामीणों ने व्यक्त की भावनाएं
सहायता मिलने के बाद भारती भास्कर और उनका बेटा भावुक हो गए। उनकी आंखों में कृतज्ञता साफ झलक रही थी। इस अवसर पर गांव के अन्य लोग भी मौजूद रहे और उन्होंने इस मुहिम की सराहना की।
भूतपूर्व पार्षद और समाजसेवी फिरोज नवाब ने कहा—
“मैं संत रामपाल जी महाराज जी की अन्नपूर्णा मुहिम से गहराई से प्रभावित हूं। यह पहल न सिर्फ भूख मिटा रही है, बल्कि समाज में भाईचारे और मानवता का संदेश भी दे रही है।”
वहीं पड़ोसी सुमित्रा ने कहा—
“अन्नपूर्णा मुहिम ने सच में गरीबों को राहत पहुंचाई है। ऐसे अभियान समाज में जीवित मानवता का प्रतीक हैं और हम चाहते हैं कि यह सेवा लगातार चलती रहे।”
अन्नपूर्णा मुहिम का मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई भी परिवार भूख और अभाव के कारण निराश न हो। यह मुहिम केवल सामग्री बांटने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में सहयोग और करुणा की भावना जगाने का माध्यम भी है। संत रामपाल जी महाराज का संदेश है कि सच्ची पूजा वही है जो मानव सेवा के रूप में प्रकट हो। उनका मानना है कि जब इंसान-इंसान के काम आता है, तभी धर्म और समाज की सार्थकता सिद्ध होती है।
दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित और पिछड़े इलाकों में ऐसी पहल का विशेष महत्व है। यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग अक्सर गरीबी और अभाव से जूझते हैं। ऐसे समय में अन्नपूर्णा मुहिम उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं। यह न सिर्फ उनके जीवन में राहत लेकर आती है, बल्कि उन्हें यह भी विश्वास दिलाती है कि वे अकेले नहीं हैं।
बड़े बचेली गांव के इस छोटे से परिवार की मदद यह साबित करती है कि मानव सेवा की ज्योति कितनी दूर तक रोशनी फैला सकती है। संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा चलाई जा रही अन्नपूर्णा मुहिम समाज में आशा और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है। यह अभियान दिखाता है कि यदि हर व्यक्ति थोड़ी भी जिम्मेदारी उठाए तो कोई भी परिवार भूखा या बेसहारा नहीं रहेगा।
आज बड़े बचेली के इस गरीब परिवार को मिला सहारा सिर्फ एक राहत सामग्री नहीं, बल्कि इंसानियत का संदेश है—कि जब तक समाज में सेवा की भावना जीवित है, तब तक कोई भी अकेला नहीं रहेगा। यही अन्नपूर्णा मुहिम की असली सफलता है।इस मुहिम में राज्य संयोजक भगत दुष्यंत दास संभाग संयोजक भगत गणपत दास जिला संयोजक राजाराम दास तहसील संयोजक टेसू राम दास उपस्थित रहे।