त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह : जो दुख में काम आए वो भगवान और जो सुख में काम आए वह इंसानः पंडित शुक्ला


धूमधाम से मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
भिलाई। शिव मंदिर परिसर इस्पात नगर रिसाली में आयोजित त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। बेमेतरा वाले पंडित भूपत नारायण शुक्ला ने इस मौके पर कहा कि जो दुख में काम आए वह भगवान है और जो सुख में काम आए वह है इंसान । भगवान की कृपा सभी पर बराबर रहती है। जब जब जरूरत पड़ी भगवान ने अवतार लिया और अपने भक्तों का दुख दूर किया। द्वापर युग में भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया और अपने भक्तों का दुख दूर किया।
रिसाली में आयोजित त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान बड़ी संख्या में भक्त कथा का श्रवण कर रहे हैं। मुख्य जजमान विष्णु पाठक व उनके परिवार द्वारा आयोजित इस धार्मिक आयोजन में गुरुवार को श्री रामज्ञानी दास महात्यागी गोंदिया महाराष्ट्र से पहुंचे और अपना आर्शीवचन दिया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव को मोक्ष मार्ग की प्राप्ती होती है। इसके संस्मरण व अलग अलग प्रसंग लोगों को भगवान की महिमा के दर्शन कराती हैं।
कथा को आगे बढ़ाते हुए पंडित भूपत नारायण शुक्ला ने भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा का विस्तार वर्णन किया। पंडित शुक्ला ने कहा कि जब जब पृथ्वी पाप के बोझ से दबने लगती है तथा पाप बढ़ता है तब तब श्री हरि अवतार लेकर पाप और पापी का नाश कर पुन: धर्म को स्थापित करते हैं। मथुरा के राजा कंस ने पाप का आचरण करते हुए अपने ही पिता को कारावास में डालकर सत्ता पर आसीन होकर प्रजा पर अत्याचार किया तथा जब उसे पता चला कि उसकी सगी बहिन देवकी की आठवीं संतान ही उसके काल का कारण बनेगी तो उसने बहन देवकी व उसके पति वासुदेव को कारावास में बंद कर दिया।
इसके बाद भी श्री हरि की कृपा से माया के कारण कारावास के बंद पडे़ द्वार खुल गए व मायावश वासुदेव भगवान कृष्ण को उफनती यमुना को पार कर सकुशल बाबा नंद के घर छोड़ देते है तथा बाबा नंद के घर में पुत्र होने का समाचार पाकर पूरे नंद में आनंद छा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के दौरान भगवान कृष्ण की बाल्यावस्था की सुंदर झांकी सजाई गई तथा उपस्थित जन समूह ने भगवान की जय-जयकार की। कथा वाचक पंडित शुक्ल ने कथा के दौरान श्रोताओं को नए साल के अवसर पर चाय जूस पीने की जगह एक चम्मच गंगा जल पीने का आह्वान किया।




