त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन पंडित शेषनारायण शुक्ला ने प्रहलाद कथा का किया बखान


भिलाई। शिव मंदिर परिसर इस्पात नगर रिसाली में आयोजित त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन पंडित शेषनारायण शुक्ला ने प्रहलाद कथा का बखान किया। इस मौके पर उन्होंने कहा प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है। पंडित शुक्ल ने कहा कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी।
बता दें रिसाली में आयोजित त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान बड़ी संख्या में भक्त कथा का श्रणव कर रहे हैं। मुख्य जजमान विष्णु पाठक व उनके परिवार द्वारा आयोजित इस धार्मिक आयोजन में अलग अलग राज्यों से संत महंतों का आगमन हो रहा है। बुधवार को कथा का चौथा दिन है और इस दौरान कथा वाचक पंडित शेषनारायण शुक्ला ने भक्त प्रहलाद कथा का बखान किया।
पंडित शुक्ल ने कहा कि सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रहलाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए, प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद की बात को नहीं माना। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार किया गया। उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
वामन के रूप में राजा बलि को दिया मोक्ष
कथा वाचक पंडित शेषनारायण शुक्ला ने राजा बलि के अहंकार व भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा भी सुनाई। उन्होंने बताया कि वामन अवतार, भगवान विष्णु का दशावतारों में पांचवां अवतार है, जो उन्होंने अहंकारी दैत्य राजा बलि के घमंड को कम करने और देवताओं को उनका खोया हुआ स्थान (स्वर्ग) वापस दिलाने के लिए लिया था। जिसमें उन्होंने राजा बलि से सिर्फ तीन पग भूमि मांगी और पहले दो पग में पूरी पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया, और तीसरे पग के लिए बलि के सिर पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया, जो धर्म की पुनः स्थापना का प्रतीक है।




