RSS प्रमुख मोहन भागवत हुए 75 के

16 साल से संभाल रहे संगठन की बागडोर
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार को 75 साल के हो गए. वे पिछले 16 साल से संघ के ‘मार्गदर्शक और दार्शनिक’ के रूप में इसकी बागडोर संभाल रहे हैं. भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में हुआ था. वे संघ के तीसरे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रमुख हैं.
उनसे पहले माधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब) और एम. एस. गोलवलकर (गुरुजी) ने सबसे ज्यादा समय तक संघ का नेतृत्व किया. बालासाहेब करीब 20 साल तक और गोलवलकर 32 साल से ज्यादा समय तक संघ प्रमुख रहे. भागवत ने लगभग 50 साल पहले संघ के ‘प्रचारक’ के रूप में काम शुरू किया और मार्च 2009 में सरसंघचालक बने. उनके पिता मधुकरराव भागवत भी पूर्णकालिक प्रचारक थे.
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भागवत के 75 साल की उम्र में सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने वाले बयान को लेकर पहले अटकलें लगीं कि वे शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (जो 17 सितंबर को 75 साल के होंगे) की ओर इशारा कर रहे हैं या फिर खुद अपने पद छोड़ने का संकेत दे रहे हैं. हालांकि, हाल ही में उन्होंने यह साफ कर दिया कि उनका मतलब सिर्फ दिवंगत संघ नेता मोरोपंत पिंगले के मजाकिया अंदाज का हवाला देने से था.
‘जब तक संघ चाहेगा, काम करते रहेंगे’
भागवत ने कहा, ‘हम जिंदगी में कभी भी रिटायर होने के लिए तैयार रहते हैं और जब तक संघ चाहेगा, काम करते रहेंगे.’ उन्होंने स्पष्ट किया, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या कोई और रिटायर हो.’ उन्होंने बताया कि नागपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने पिंगले के मजाकिया अंदाज का उदाहरण दिया था.
सुनाया मोरोपंत पिंगले से जुड़ा किस्सा
भागवत ने कहा, ‘वे इतने चुटीले थे कि उनकी बात सुनकर लोग कुर्सी से उछल पड़ते थे. एक बार अखिल भारतीय कार्यकर्ताओं की बैठक में, जब वे 70 साल के हुए तो उन्हें सम्मानस्वरूप एक शॉल दिया गया. तब वे खड़े होकर बोले- ‘आप सोच रहे होंगे कि आपने मेरा सम्मान किया है, लेकिन मुझे पता है कि जब यह शॉल दिया जाता है तो इसका मतलब होता है कि अब चुपचाप कुर्सी पर बैठकर देखते रहो कि आगे क्या होता है’.’